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बुधवार, 20 सितंबर 2023

..... सबसे बड़ा रोग ,क्या कहेंगे लोग.....

 ..... सबसे बड़ा रोग ,क्या कहेंगे लोग.....


मिताली शर्मा

विकास बड़ा ही भोला और शांत व्यक्ति था, वह अपनी जिंदगी में बेहद खुश था । छोटी सी नौकरी थी और छोटा परिवार, परिवार के नाम पर दो सदस्य ही थे उसको जोड़कर तीन, एक वह स्वयं, उसकी पत्नी और एक बूढी मां । पत्नी चार माह की गर्भवती थी, सब खुश थे कि घर में नया सदस्य आएगा । एक दिन उसकी मां और पत्नी मंदिर से आ रहे थे कि अचानक किसी ट्रक से धक्का लगा और दोनों गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचे, डॉक्टर ने विकास को बताया कि दोनों की हालत बहुत नाजुक है जल्द से जल्द पैसों का इंतजाम करो वरना इनको भारती नहीं करेंगे, विकास ने पैसों के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने बताया 2 लाख, 1 लाख आपकी पत्नी का और एक आपकी मां का क्योंकि दोनों का ऑपरेशन करना पड़ेगा । विकास के पास 2 लाख तो दूर एक लाख भी नहीं था क्योंकि वह मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालता था ,वो उसी में खुश था उसके पास इतना पैसा नहीं था कि वो कुछ करें । हाथ पैर जोड़ने पर डॉक्टर ने भरती तो कर लिया पर ऑपरेशन नहीं किया बोला जब पैसे आएंगे तभी ऑपरेशन शुरू होगा । ये सुनते ही विकास दौड़ा-दौड़ा गांव पहुंचा, वहां सभी से पैसे मांगा किसी ने नहीं दिया फिर अंत में उसने अपनी मां और पत्नी के गहने बेच दिए पर उसे बेचकर भी इतने पैसे नहीं मिले कि वह दोनों की जिंदगी बचा सके, पर जो भी था वो सब पैसे लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचा, डॉक्टर से बताया कि देखिए इतने पैसे हैं मेरी पत्नी और मां को बचा लीजिए । डॉक्टर पैसे देखते हीं बोला ये तो एक लाख ही है इतने में तो केवल एक ही व्यक्ति को बचाया जा सकता है जल्दी बोलिए किसका ऑपरेशन करें? विकास सोच में पड़ गया आखिर किसे चुने? मां को या पत्नी को? उसने सोचा मां को बचाना ज्यादा जरूरी है पैसा लेकर जैसे डॉक्टर के पास जाने वाला ही था कि उसने सोचा अगर मां को बचा लूंगा तो लोग क्या कहेंगे ?कि देखो अपनी मां को बचा लिया और बेचारी पत्नी को मार दिया । फिर सोचा ठीक है पत्नी को ही बचा लेता हूं तभी फिर उसके मन में बात आया अगर पत्नी को बचा लिया तो लोग क्या कहेंगे अपनी पत्नी को बचा लिया और बेचारी बूढी मां को मार दिया । फिर सोचा की मां को ही बचा लेता हूं पर जैसे ही डॉक्टर के पास पहुंचा फिर सोचने लगा कि लोग क्या कहेंगे ?कि अपने खून, अपना रिश्ता ,अपनी मां को बचा लिया वो तो बूढ़ी थी और बेचारी पत्नी वो तो गर्भवती थी उसको मार दिया साथ में होने वाले बच्चे को भी. छि...छि.. कैसा व्यक्ति है । तो उसने ठान लिया अब तो पत्नी को ही बचाएगा पर जैसे आगे बढ़ा उसके मन में फिर ये बात आई कि लोग क्या कहेंगे जोरू का गुलाम है जोरू के चक्कर में बेचारी मां ,वो मां जिसने जन्म दिया, पाला-पोसा उसको मार दिया कैसे बेटा है ?... हे  राम...! समय बीत रहा था, एक तो पहले ही पैसे लाने में देर हो गई थी और अब सोचने में पूरा दिन बीत गया ,शाम हो गई थी पर अभी तक विकास कुछ फैसला नहीं कर सका था कि तभी डॉक्टर आए और बोले अब आपके पैसों की जरूरत नहीं है आप पैसे और उन दोनों महिलाओं को लेकर अपने घर चले जाइए...ये सुनकर विकास हैरान था बिना पैसों के ऑपरेशन हो गया? उसने हैरानी में डॉक्टर से पूछा.. डॉक्टर बोला ऑपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ी..... विकास सुनकर खुश हुआ.... क्या... मतलब वो दोनों बिना ऑपरेशन के ही ठीक हो गई.... डॉक्टर हल्का गुस्सा करते हुए बोला आप... आप कैसे व्यक्ति हैं? आपने पैसों के लिए अपनी मां और पत्नी जो गर्भवती थी उसे मार डाला? विकास सुनकर थप्प सा रह गया..ये ... ये क्या बोल रहे हैं आप? डॉक्टर बोला.. जी आपकी मां और पत्नी मर चुकी है और अब आप उन्हें ले जाइए बोलकर डॉक्टर चला गया । विकास रोते हुए गांव पहुंचा तो सारे लोग उसे देखकर कोसने लगे... कैसा इंसान है... ना अच्छा बेटा बन सका, ना अच्छा पति और ना ही अच्छा बाप.. अरे.. इस इंसान को तो किसी की जान की कद्र ही नहीं ,बताओ पैसा बचाने के लिए अपने पूरे परिवार को मार डाला, अरे ..किसी एक को ही बचा लेता माँ तो बूढ़ी थी पर अपनी पत्नी को तो बचा सकता था बेचारी गर्भवती थी.. थोड़ा और आगे गया तो फिर किसी ने बोला बताओ, मां को तो बचा ही सकता था उसकी कितनी ही जिंदगी थी ,थोड़ा और जी लेती । सबके ताने सुन सुन विकास हताश हो गया और सोचने लगा पूरी उम्र लोग यही कहेंगे... मैं यह नहीं सुन सकता और विकास ने खुदकुशी कर ली.... उसके मरते ही लोग कहने लगे.. बताओ कैसा व्यक्ति था सबको मार के खुद भी मर गया, अरे! मरना ही था तो अपने को मारकर अपनी मां और पत्नी को बचा लेता ,उनको जीने देता ,बड़ी बेकार आदमी था । इस कहानी में न केवल डॉक्टरों की सोच दिखती है ,बल्कि लोगों की सोच भी दिखती है ,कहते हैं कि लोगों का मत सोचो लोगों का काम है कहना... आज आप सही कर रहे हैं तो भी लोग कहेंगे, कल आप गलत करेंगे तो भी लोग कहेंगे ,लोगों को आपके काम से नहीं आपसे परेशानी है कि कही आपकी उन्नति ना हो जाए ,वो आपके लिए नहीं बल्कि आप से परेशान है, तो कभी भी लोगों का सोचकर काम मत करो ,लोग हमेशा कहेंगे , लोगों का काम है कहना और अधिकतर लोगों की परेशानी यही है कि क्या कहेंगे लोग ? और यह बहुत बड़ी परेशानी है क्योंकि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग? ये पहले से था, है और हमेशा रहेगा अब आप क्या करते हैं यह बड़ी बात है क्योंकि लोग तो है ही कहने के लिए लोगों का काम है कहना ,ये जीवन आपका है आप इसे सुधारेंगे या विकास की तरह लोगों की बात मानेंगे, ये आप पर निर्भर करता है । 





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