जिला गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन साहिबाबाद क्षेत्र में अस्पताल न होने से लाखों की आबादी वाले क्षेत्र की जान पर खतरा बना रहता है - यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस

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शनिवार, 13 अप्रैल 2024

जिला गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन साहिबाबाद क्षेत्र में अस्पताल न होने से लाखों की आबादी वाले क्षेत्र की जान पर खतरा बना रहता है

जिला गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन साहिबाबाद क्षेत्र में अस्पताल न होने से लाखों की आबादी वाले क्षेत्र की जान पर खतरा बना रहता है


जिला गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में अस्पताल की मांग दो दशक से चली आ रही है सूत्रों के हवाले से ट्रांस हिंडन की आबादी लगभग 30 से 35 लाख से अधिक बताई जा रही  है लेकिन यहां पर अस्पताल न होने से लाखों की आबादी की जान पर हमेशा खतरा बना रहता है यहां के निवासियों को अधिक धन खर्च कर या तो निजी अस्पतालों में उपचार करना पड़ता है या फिर दिल्ली राजधानी क्षेत्र में उपचार के लिए भटकना पड़ता है इमरजेंसी होने पर पीड़ित अपनी जान भी रास्ते में गवा देते हैं अक्सर देखा गया है अधिक घातक बीमारी होने पर मरीज की जान को अधिक खतरा बना रहता है ज्यादातर ऐसी स्थिति में रास्ते में ही ले जाते हुए रोगी की जान चली जाती है लेकिन राजधानी दिल्ली से लगे जिला गाजियाबाद साहिबाबाद क्षेत्र की जनता को अभी तक सरकार की तरफ से अस्पताल  उपलब्ध नहीं कराया गया यहां की जनता की प्रमुख मांग ट्रांस हिंडन क्षेत्र में अस्पताल को लेकर हर  महा उठ रही है लेकिन क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि इस मांग को पूरा करने में लापरवाही बरत रहे हैं आम जनता का कहना है इलेक्शन के समय जनप्रतिनिधि क्षेत्र में आकर बड़े-बड़े वादे कर के चले जाते हैं लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है कड़कड़ मॉडल झंडापुर के निवासियों का कहना है यहां पर समाजसेवी अरुण तोमर क्षेत्र की जनता के प्रति समय-समय पर जरूरी मांगों के प्रति आवाज उठाकर शासन प्रशासन तक समाचार पत्रों के माध्यम से एवं सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंचाने का प्रयास करते रहते हैं लेकिन शासन प्रशासन के अधिकारीगण शिकायतों पर ध्यान नहीं देते तोमर का कहना है जिला प्रशासन के अधिकतर अधिकारी जनहित के कार्यों को कराना ही नहीं चाहते और जनप्रतिनिधियों का हवाला देते हुए कार्यों में लापरवाही करते हैं प्रशासनिक अधिकारियों की माने तो जनहित की शिकायतों को केवल जन प्रतिनिधि ही कार्य कराने योग्य हैं सामाजिक कार्यकर्ता  एवं अन्य नागरिक कार्य करने योग्य ही नहीं है क्योंकि जनप्रतिनिधियों को 5 वर्ष तक जन सेवा करने का जनता के योगदान से जनसेवा करने का मौका प्राप्त हो जाता है जबकि समाजसेवी समाज के प्रति बड़े स्तर पर निस्वार्थ भावना से कार्य करने वाले प्राणी की भी जिला प्रशासन सुनवाई नहीं करता प्रशासन की माने तो जनप्रतिनिधि होना अति आवश्यक है तोमर का कहना है इसीलिए हर विभाग में आम जनता की सनी नहीं होती कड़कड़ मॉडल में एक ही परिवार में दो हार्ड पेशेंट है और दोनों हार्ट पेशंटों का उपचार दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल से चल रहा है सुशील कुमार लगभग 2017 से हृदय रोग से ग्रस्त हैं उनकी माताजी प्रेमवती देवी कोरोना कल से हृदय रोग से ग्रस्त हैं इस परिवार में आर्थिक तंगी से जूझने वाले समाजसेवी अरुण तोमर मेहनत और ईमानदारी से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं तोमर के बड़े भाई सुशील कुमार का दिल कमजोर होने से उनका जीबी पंत हॉस्पिटल से उन्हें उपचार के लिए लोकनायक हॉस्पिटल  रेफर कर दिया तोमर पिछले सप्ताह से अपने भाई को लेकर दिल्ली के अन्य अस्पतालों में लेकर भटक रहे हैं

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