....माँ तू ऐसी कैसी है?....
दुख-दर्द देती दुनिया तो, खुशियाँ दे देती तू।
ताना देती दुनिया तो, हिम्मत दे देती तू।
पीड़ा देती दुनिया तो, पीड़ा हर लेती तू।
इस मतलबी दुनिया में, बस अपनी लगती है तू।
इतना कुछ सहकर भी, कैसे हंसती है तू?
इस स्वार्थी दुनिया में, निस्वर्थी कैसे है तू?
टूट कर जब कभी मैं, थक कर रुक जाती हूं।
न जाने कहा से आकर , हौसला दे देती तू।
बिन बताए कैसे मेरे? दर्द सुन लेती तू।
कैसे मेरे बहते आंसू, को तू रोक देती है?
कैसे मेरी सारी गलतियां, झट से माफ कर देती है ?
कैसे मेरे कड़वे बोल, चुप चाप सुन लेती है?
दुनिया ठुकराती है मुझे, पर तू गोद उठाती है ।
डांटती बहुत है, पर प्यार भी बहुत लूटाती है।
कैसे बिन बोले मेरी, परेशानी समझ जाती है?
आंधी-तूफ़ान, धूप-छाव, हमेशा तू संग रहती है ।
अपनी खुशियां त्याग कर, बस मेरी चिंता करती है।
मां तू ऐसी कैसी है? इतना कैसे कर लेती है?
मिताली शर्मा