हमें हेलमेट,सीट बेल्ट लगाने के लिए कहने का मौका नहीं देना चाहिए : मुशरफ खान - यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस

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सोमवार, 31 जुलाई 2023

हमें हेलमेट,सीट बेल्ट लगाने के लिए कहने का मौका नहीं देना चाहिए : मुशरफ खान

 हमें हेलमेट,सीट बेल्ट लगाने के लिए कहने का मौका नहीं देना चाहिए : मुशरफ खान 

सड़क सुरक्षा यानी आपके बहुमूल्य जीवन की रक्षा : मुशरफ खान


आगरा।
योगी सरकार 17 से 31 जुलाई तक सुरक्षा पखबाड़ा चला रही हैं। जिसके तहत उत्तर प्रदेश में सडक सुरक्षा व यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा हैं। इस कवायद का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना और लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना है।

इस सन्दर्भ में लोकप्रिय एवं सुप्रशिद्ध राष्ट्रवादी सामजिक चिंतक एवं वरिष्ठ समाजसेवी मुशरफ खान साहब ने प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया कि आइये हम खुले मन से सड़क सुरक्षा अभियान का हिस्सा बनें। सड़क सुरक्षा मात्र एक वैचारिक संकल्प ही नहीं है, बल्कि यह जीवन को सुरक्षित रखने का एक महाअभियान है। सड़क हादसों को कम करने और राहगीरों को वाहन चलाते समय नियमों का पालन करवाने के उद्देश्य से सड़क सुरक्षा माह मनाया जा रहा हैं। भारत जैसे देश में, सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ जहां इतना अधिक है। वहां सीट बैल्ट्स और हैल्मेट्स का इस्तेमाल केवल पुलिस के चालान से बचने के लिए ही किया जाता है। इन सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग न करना ही ऐसे मामलों को और बढ़ावा देता है। अगर सड़कों पर फैले मौत के जाल का आंकड़ों के माध्यम से अध्ययन करें तो अंतर्राष्ट्रीय सड़क संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की प्रति वर्ष सड़क हादसों में मौत होती है। इसमें सबसे चिंताजनक यह है कि इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है। इन सभी दुर्घटनाओं के पीछे शराब/मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना और थकान आदि शामिल हैं। इसलिए हमें हेलमेट, सीट बेल्ट लगाने के लिए कहने का मौका नहीं देना चाहिए। सड़क सुरक्षा यानी आपके बहुमूल्य जीवन की रक्षा हैं। क्युकी जीवन बहुमूल्य है, यह सबसे बड़ी पूंजी है। इसे बचाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। हम सभी को अपने नागरिक होने का कर्तव्य निभाना चाहिए। योगी सरकार ने सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए काफी कदम उठाए हैं। इनका असर दिख भी रहा है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है। जहां रक्षा व सुरक्षा की सबसे ज्यादा आवश्यकता अगर कहीं महसूस होती है, तो वह सड़कों पर होती है। क्योंकि सड़कों पर ज्यादा गति से चलेंगे तो खुद आगे जाकर ठोकोगे और ज्यादा धीमे चलोगे तो पीछे से आकर कोई ठोक देगा। इसलिए सड़कों पर नियमित गति के साथ स्वयं व दूसरों की रक्षा व सुरक्षा को ध्यान में रखकर चलना चाहिए। हमें हेलमेट, सीट बेल्ट लगाने के लिए कहने का मौका नहीं देना चाहिए। हेलमेट पहनने, सीट बेल्ट लगाने, ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए कोई दूसरा हमें कहे, इसका मौका नहीं देना चाहिए। जब हम सभी ट्रैफिक नियमों का पालन करने लगेंगे, तो दुर्घटनाओं में खुद-ब-खुद कमी आ जाएगी। किसी के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उस मां-परिवार की क्या स्थिति होती है, यह कल्पना से बाहर की बात है। इसलिए लोग जोश में कोई ऐसी गलती ना कर बैठे, जिसका दर्द परिवार वालों को जीवन भर सताए। इसलिए सुरक्षित यात्रा के लिए यातायात के नियमों का कड़ाई से पालन बेहद जरूरी हैं। चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए। नशा करके वाहन नहीं चलाना चाहिए। सड़क पर सदैव उचित दूरी बना कर चलना चाहिए। जेब्रा क्रोसिंग पर वाहनों की गति धीमी करके पैदल यात्रियों को चलने का अवसर देना चाहिए। सड़कों पर लगे यातायात संबंधी निर्देशों का सदैव पालन करना चाहिए। दो पहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाने व वाहन तेज गति से ना चलाने के लिए जागरूक करना चाहिए। क्युकी यातायात संबंधी नियम कानूनों का पालन नहीं करने पर जहाँ एक ओर वाहन सवार और सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों का जीवन खतरे में बना रहता हैं। वहीं, दूसरी ओर नियम तोड़ने पर एक्सीडेंट एवं कानूनी कार्यवाही का सामना भी करना पड़ सकता हैं। इसलिए हमें ध्यान पूर्वक यातायात नियमों का सदैव पालन करना चाहिए। क्युकी भारत में हर मिनट एक इंसान सड़क हादसे में अपनी जान गंवाता है, चार घायल होते हैं। जरा सी सावधानी से अपनी और दूसरों की जान बचाई जा सकती है। वहीं, अक्सर ये लापरवाहियां हादसे को न्योता देती है। जैसे - ध्यान भटकना, तेज रफ्तार, शराब, संयम खोना, अचानक कट मारना, रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना, अनुभव की कमी, किशोरों की बेध्यानी, होड़ लगाने का शौक, लापरवाही, बारिश, कोहरा,रात में ड्राइविंग,ओवरटेकिंग का जुनून, रेड लाइट जम्प करना, वाहन में डिफेक्ट, वाहन को लहराकर चलाना, तालमेल की कमी, हेलमेट या सीट बेल्ट न पहनना, तेज रफ्तार, अचानक कट मारना, दूसरे को परेशान करते हुए आगे बढ़ना, रील बनाना ये ऐसी लापरवाहियां हैं जो हादसे को न्योता देती है।


श्री खान साहब ने प्राप्त जानकारी के अनुसार आगे बताया कि सड़क पर संयम रखना भी एक चुनौती है। ड्राइविंग करते वक्त खुद को शांत रखना बेहद जरूरी है। कई बार लोग दूसरी दिशा में जाने के लिए यू टर्न का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि गलत दिशा में गाड़ी डाल देते हैं। ऐसा करके अपनी और दूसरे की सुरक्षा कभी खतरे में न डालें।दुनिया भर में हर साल सबसे ज्यादा सड़क हादसे ध्यान भटकने की वजह से होते हैं। बेख्याली में लोगों का ध्यान सड़क से बाहर चला जाता है। मोबाइल चलाना, रील बनाना, खाना-पीना या फिर बाहर का नजारा देखना इसके मुख्य कारण हैं। निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब पीने के बाद ड्राइवर को अचानक से फैसना लेने में परेशानी होती है। अल्कोहल सड़क हादसों के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार है। शाम को शराब पीने के बाद रात में अचानक इमरजेंसी में गाड़ी चलाना, ऐसे हालात खतरा और बढ़ा देते हैं। कई बार लोग दूसरी दिशा में जाने के लिए यू टर्न का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि गलत दिशा में गाड़ी डाल देते हैं। ऐसा करके अपनी और दूसरे की सुरक्षा कभी खतरे में न डालें। दुपहिया या कार पर सवार किशोरों से विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। पिछले वर्ष की तुलना में सड़क दुर्घटना में 5.5 प्रतिशत व दुर्घटना के मृतकों की संख्या में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सड़क दुर्घटना में दोपहिया वाहन चालकों की मृत्यु अधिक हुई है। यह स्थिति काफी चिंताजनक है। इस पर योगी सरकार का विशेष ध्यान है कि मार्ग दुर्घटनाओं में कमी आए और लोग जागरूक हों। क्युकी सड़क पर होने वाले हादसे के कारण पीड़ित और उसके परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है। असामयिक मौतों, चोटों और विकलांगताओं के कारण संभावित आय का नुकसान भी होता है।अनुभव की कमी, बेध्यानी, होड़ लगाने का शौक और लापरवाही की वजह से किशोर सड़कों को खतरनाक बनाते हैं। गाड़ी की गति अगर पैदल चाल से ज्यादा तेज हो तो सील्ट बेल्ट जरूर पहनें। हादसे की स्थिति में यह सिर, पेट और छाती की गंभीर चोटों से काफी हद तक बचाती है। दुपहिया में हेलमेट जरूर लगाएं। हर कोई चाहता है कि उसे खाली सड़क मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम लेकर हर वाहन को ओवरटेक किया जाए। ओवरटेक करते समय हर वाहन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए। रेड लाइट को नजरअंदाज करने वाले ड्राइवर, दूसरी दिशा से आ रहे तेज रफ्तार ट्रैफिक की चपेट में आ सकते हैं। इस दौरान होने वाले हादसे गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं। लिहाजा बेहतर है कि ट्रैफिक सिग्नल के आस पास जल्दबाजी न करें। दुनिया में हर चीज 100 फीसदी परफेक्ट नहीं है। इस बात को ड्राइविंग के वक्त भी ध्यान में रखें। वाहन में आने वाली दिक्कतों को नजरअंदाज न करें। हर गाड़ी में खास किस्म के फायदे और खामियां होती हैं, ड्राइविंग के वक्त इन चीजों को भी ध्यान में रखें। ज्यादातर हादसे इस वजह से भी होते हैं कि एक चालक की हरकत दूसरों को समझ में नहीं आती। ऐसा न करें, सड़क पर ऐसी कोई भी हरकत न करें, जिसके चलते दूसरे भ्रमित हों। मुड़ते वक्त इंडिकेटर न देना, व्यस्त सड़क पर रास्ता पूछने के लिए अचानक रुकना, ज्यादा ट्रैफिक होने पर बार बार लेन बदलना, ऐसा कर बेवजह दुर्घटना को न्योता न दें। आबादी के बीच से गुजरता हाईवे और उस पर लिखी स्पीड लिमिट, कई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करते हैं और यही तेज रफ्तार हादसे का कारण बनती है। कम लोग जानते हैं कि 80 कि.मी. प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती कार की ब्रेकिंग दूरी भी कम से कम 64 से 90 मीटर होती हैं। कोहरा और बरसात में गाड़ी चलाते वक्त विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। गीली सड़क पर घर्षण कम हो जाता है, जिसके चलते ब्रेक लगाने पर वाहन के फिसलने का खतरा बना रहता है। बरसात के दौरान सामने का नजारा भी बहुत साफ नहीं होता है। रात में वाहन चलाना आसान नहीं, इस दौरान दुर्घटना होने की संभावना भी दोगुनी होती है। शाम के वक्त इंसान पर थकान भी हावी होती है। इसके अलावा कई चालक हर वक्त हेडलाइट को हाई बीम पर रखते हैं। लिहाजा रात में ड्राइविंग करते वक्त सामने के शीशे या हेल्मेट के शीशे को बिल्कुल साफ रखें और बेहद संभलकर आगे बढ़ें। सड़क दुर्घटना से जीवन की हानि हो सकती है। इसी क्रम में यह अभियान चलाया जा रहा हैं। मार्ग दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए योगी सरकार ने अब सख्त रवैया भी अपनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सडक सुरक्षा व यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा हैं। इसका उद्देश्य मार्ग दुर्घटनाओं में कमी लाना व आमजन को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना है।

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