सिर चढ़ कर बोल रहा मोबाईल - यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस

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रविवार, 25 फ़रवरी 2024

सिर चढ़ कर बोल रहा मोबाईल

 सिर चढ़ कर बोल रहा मोबाईल



बचपन खाया, मासूमियत खाया, खेलमैदान को ही खा गया

दादा दादी, नाना नानी, कहानी परियों की खा गया

घर घर छिपा सालाइलेंट किलर, सिर चढ़ कर बोल रहा मोबाईल।


घंटो घंटे लगे हुए है, स्क्रीन टाइम में खोये हुए है

रिश्ते नाते दूर दूर है, अजनबियों की भीड़ लगी है

अंतयात्रा में चार लोग ही है.. सिर चढ़ कर बोल रहा मोबाईल


झूट मुठ  चौड़ी मुस्कान है, स्क्रीन के पूछे मातम मचा है

शमशान घाट सा वास्तव जीवन है,  सोशल मीडिया में सब हरा भरा है

मोबाईल से जीवन सरल हुआ है, लेकिन इंसान अकेला हुआ है

सम्भल जाओ अब वक्त है. सिर चढ़ कर बोल रहा मोबाईल


कवि: प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री आध्यात्मिक वक्ता एवं माइंडसेट गुरु

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