निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकारी भवनों पर भी संपत्ति कर वसूलने की योजना में तेजी
एन0के0शर्मा
गाजियाबाद नगर निगम की आर्थिक स्थिति पहले से कुछ बेहतर होती दिखाई दे रही है। इसमें नगर आयुक्त डॉ नितिन गौड़ का प्रयास लगातार सफल हो रहा है। इसी क्रम में पुराने बकायेदारों से वसूली के कार्य में लगातार विभागीय अधिकारी कार्यवाही कर रहे हैं। जिसके तहत बकायेदारों द्वारा निगम को बकाया कर जमा कराया जा रहा है।
नगर आयुक्त डॉ नितिन गौड़ ने बताया कि न केवल प्राइवेट प्रतिष्ठान से ही बल्कि राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के भवनों पर भी सर्विस चार्ज तथा संपत्ति कर वसूलने के लिए कार्यवाही तेज कर दी गई है। पुलिस आयुक्त गाजियाबाद भवन पर लगभग कुल 7 करोड़ 20 लाख बकाया था। जिसमें से लगभग 01 करोड़ की वसूली वर्तमान में की गई है। नगर आयुक्त ने और विस्तार से बताया कि इसी प्रकार अन्य सरकारी भवनों पर संपत्ति कर बकाया है। इसके लिए नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। राज्य सरकार के भवनों पर संपत्ति कर लगभग 120 करोड़ बकाया है तथा केंद्र सरकार पर लगभग 110 करोड़ बकाया है। संबंधित अधिकारी लगातार संपर्क साधते हुए वसूली को बढ़ाएंगे जिससे निगम की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी।
नगर आयुक्त ने बताया कि इसके अलावा गाजियाबाद नगर निगम का प्राइवेट प्रतिष्ठानों पर भी अन्य मदों में बकाया चल रहा है, जिसकी वसूली भी तेज हो गई है। इसी क्रम में अंसल हाउसिंग पर लगभग 8 करोड काफी पुराना बकाया है। जिसमें से प्रत्येक माह 25, 25 लाख का बकाया निगम को प्राप्त कराया जा रहा है। इस प्रकार गाजियाबाद नगर निगम की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए लगातार अधिकारी तथा जनप्रतिनिधि प्रयासरत हैं और सफल भी हो रहे हैं। जानकारी देते हुए कर निर्धारण अधिकारी डॉक्टर संजीव सिन्हा ने भी बताया कि गाजियाबाद नगर निगम का बकाया कर केंद्र सरकार के लगभग 15 भवनों पर भी है। जिसमें दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन, एओसी हिंडन एयर फोर्स, मानव संसाधन विकास केंद्र, सीआईएसफ, रेलवे विभाग संपत्ति, केंद्रीय लोक निर्माण, प्रधान डाकघर नवयुग मार्केट, दूरसंचार मुकुंद नगर, प्रधानाचार्य विशेष केंद्रीय विद्यालय कमला नेहरू नगर, बीएसएनल भी शामिल है। इसी प्रकार राज्य सरकार के 18 भवनों पर बकाया है जिनमें विद्युत विभाग, पुलिस आयुक्त विभाग, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, सेनानायक भवन, विद्यालय, कॉलेज, कृषि बीज केंद्र, उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम, जिला गन्ना अधिकारी, नलकूप खंड व अन्य शामिल हैं, जिन पर नगर आयुक्त के निर्देशानुसार लगातार कार्यवाही जारी है। सभी से सर्विस चार्ज/ संपत्ति कर की वसूली की जा रही है।
पूर्व में भी नगर आयुक्त की योजना से लगभग 133 करोड की देयता खत्म की जा चुकी है। जिसमें माननीय जनप्रतिनिधियों का भी विशेष सहयोग निगम को प्राप्त हो रहा है जो कि सराहनीय है।