"चुनावी मुद्दा" - यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस

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बुधवार, 31 मई 2023

"चुनावी मुद्दा"

                 "चुनावी मुद्दा"




अभी-अभी ही तो ससुर जी घर में घुसे थे,कि तभी फोन आ गया। अरे भाई साहब आपकी उम्र बड़ी लंबी है ।बस आप की ही तो बात हो रही थी। हां हां हां आ जाओ घर पर ही हूं। बाहर से ही आवाज लगाते हुए, बड़े भाई साहब आ रहे हैं। चाय नाश्ता तैयार रखो ,बस बोलने की देर थी कि उधर साहब दरवाजे पर खड़े थे। आओ साहब हमारे गरीब खाने में आपका स्वागत है। अरे, चौधरी (इस शब्द का अर्थ आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति से है) तुम कब से गरीब हो गए, पूरे चौरासी गांव में तुम्हारे बराबर धरती किसी के पास नहीं है। चौधरी जी भी मूंछो पर ताव देने लगा। सुना है, बराबर के भाइयों की तो छोड़ो पूरे गांव की आधी से ज्यादा धरती के कागज तुम्हारे गरीब खाने में गिरवी रखें हुए हैं। और तुम्हारा गरीब खाना,हां हां हंसते हुए। अच्छा यह सब छोड़ो तुम्हारी बात पक्की कर आया हूं। कौन सी बात साहब,अरे अबके विधानसभा के चुनाव में तुम्हारा टिकिट पक्का है। बहुत भाग दौड़ करनी पड़ी। चलो काम हो गया। अब यह बताओ कि तुम कौन से मुद्दों से चुनाव लड़ोगे। अरे, साहब टिकट आपने दिलवाया है तो मुद्दा भी आप ही बता दो। विपक्षी पार्टी वाले तो इस बार नए-नए मुद्दे भुना रहे हैं विकास, गरीबी, शिक्षा,घर-घर जल ओर नल ये तो उनके मुद्दे है तो हमें किस पर प्रचार करेंगे साहब। हम ऐसा मुद्दा बनाएंगे की सारे गांव वाले बस हमें ही वोट दे और जीत का परचम हम ही लहराएंगे। तभी धनिया भागता हुआ बाहर वाले कमरे में आया। यह देखो चौधरी साहब आपके चुनाव प्रचार का पोस्टर छप कर आ गया है। हाथ जोड़ हुए मंद मंद मुस्कान वाली आपकी तस्वीर कितनी अच्छी लग रही है। नीचे लिखा है कर्मठ,शिक्षित,गरीबों के लिए सदैव तैयार रहने वाला आपके विधानसभा का भावी लोकप्रिय नेता, चुनाव चिन्ह चश्मा। अरे,चौधरी पोस्टर तो जोरदार लग रहा है। यह तो सही है,साहब पर मैं प्रचार कौन से मुद्दे से करूंगा।अरे,ये भी सोच लगे,तुम ठहरो तो जरा,साहब ने सोचनीय मुंद्रा बनाई और कुछ देर ठहर कर बोले, हम प्रचार आने वाले मंगलवार से शुरू करेगे।महिला सशक्तिकरण के मुद्दे से। अरे साहब, मैं ठहरा दसवीं फैल ये महिला सशक्तिकरण क्या बला है।अरे, चौधरी साहब बला नहीं है।महिलाओं को दिया जानें वाला एक प्रलोभन है। जिसमें हमें भी गोता लगाना है। चौधरी जी बोले कैसे साहब, बस कुछ नहीं हम महिलाओं के बारे में जागरूकता लाएंगे। पचास प्रतिशत सीटें महिलाओं को दिलवाएंगे,गांव गांव में बालिका शिक्षा की अलख जलाएंगे। सरकार की सभी योजनाएं महिलाओं के नाम से चलाएंगे। आटे से लेकर डाटा तक अबकी बार महिलाओं को ही दिलवाएंगे। फिर तो साहब यह पुरुष तो नाराज नहीं हो जाएंगे। अरे नहीं रे भोले चौधरी तुम देखना ये खुद की ही नहीं अपने अगल बगल की महिलाओं को भी वोट दिलाने लेकर आएंगे। पर साहब आपने प्रचार का दिन मंगलवार ही क्यों रखा। अरे भोले चौधरी साहब आप इतना भी नहीं जानते । मंगलवार से नवरात्रा शुरू हो रहे हैं। हमारे लिए प्रचार करने का सर्वश्रेष्ठ दिन है। अच्छा चलता हूं। कल सुबह आठ बजे आ जाना गाजे बाजे के साथ। लाओ मेरा रूपये वाला सूटकेस। सूटकेस लेकर चलते बने। रसोई के अन्दर से बर्तनों के गिरने की आवाज आई। चौधरी साहब दरवाजे से ही चिल्लाते हुए अंदर आए । वेपैदल औरत एक काम भी बिना आवाज किए नहीं कर सकती और कुर्सी पर जाकर बैठ गया और अपना पोस्टर निहारने लगे।



         कांता मीना

शिक्षाविद् एवं साहित्यकार

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