"आवारा बादल"
डॉ.अंजना मुकुंद कुलकर्णी
बादलों आजकल तुम कहाँ हो सरहद के इस पार या उस पार
लेकिन वो खतरनाक बादल कहां है जिन्होंने तबाही मचाई है
तुम्हारी शरारती कारनामों से हम वाकिफ है
ए शरारती बादलों क्या तुमने भी अब बुजुर्ग बादलों का साथ छोड़ दिया है
पहले तुम्हारा आने का रास्ता साउथ से नार्थ था लेकिन अब नार्थ यानी हिम के
आँचल थंडर के साथ बवंडर भी नजर आ रहा है जहां जल ही जल और बादल गरज रहे है
बरस रहे है क्या सुंदर नादियो मे बसने बसाने का राजशाहियों के क ानूनी
फैसला तुमने खुद अपने हाथो ले लिया है इधर साहिल पर खड़ी कश्तियों क ी
शिकायत भी सुन लो ए बादलो क्या तुम पर हवाओं का दबाव है
जो बादल बिन मौसम कही भी झरनो नदियो को भी बहा देते हो
लेकिन ए बादलों इतने गुमान और गफलत में मत रहना
जहां नदियां फिर भी आखिर मेंसागर में ही मिलना पड़ता है
लेकिन सागर ऐसा दरिया दिल जो किसी के साथ मिलता नहीं हैं...