दरिया बनकर किसी को डुबोने से बेहतर है की जरिया बनकर किसी को बचाया जाए-इंजीनियर लखमीचन्द यादव - यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस

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रविवार, 25 फ़रवरी 2024

दरिया बनकर किसी को डुबोने से बेहतर है की जरिया बनकर किसी को बचाया जाए-इंजीनियर लखमीचन्द यादव

 दरिया बनकर किसी को डुबोने से बेहतर है की जरिया बनकर किसी को बचाया जाए-इंजीनियर लखमीचन्द यादव


क्लास दो में पढ़ते वक्त हमने अपने प्राइमरी स्कूल की लड़कियों के साथ हैड मास्टर द्वारा हर रोज की जाने वाली गलत करतूतों को देखकर और उसकी अश्लीलता को देखकर ईंट मारकर हमने हैड मास्टर का सिर फोड़ दिया।

कांटो पर चलने वाले लोग ही अपनी मंजिल पर जल्दी पहुचते है,क्योंकि कांटे कदमो की रफ्तार को बढ़ा देते है।

सन 1988 में गांव में हुई बड़ी डकैती व एक महिला की लूटी गई इज्जत पर जब गांव में बड़ी पंचायत हो रही थी तो हम भी उस पंचायत को देखने पहुच गए जिसके घर मे डकैती हुई और जिसकी पत्नी की इज्जत लूटी गयी उसने दो बार पंचायत में कहा अब में नाम खोल रहा हूँ तो दोनों बार पंचायत के मैन लोगो ने उसे नाम खोलने से रोक दिया जब कुछ देर बाद उसने तीसरी बार नाम खोलने के लिए बोला तब भी उसे नाम खोलने से पंचों ने रोक दिया हमसे बोले बगेर उस वक्त रहा ना गया हमने उस कुख्यात बदमाश का नाम जैसे ही बोला तो पंचायत में भगदड़ मच गयी पंचायत में सब बोले अनर्थ हो गया ये दर्याव का लड़का लख्मीचंद यहां बुलाया किसने? पंचायत में एक भी आदमी नही रुका सब के चले गए हम भी बुझदिलो की पंचायत से वापस घर आ गए।उस वक्त हमारी उम्र 10 वर्ष थी।

संकट में बुद्धिमान नही,वो बचेगा जिसमे अनुकूल की छमता अधिक हो,जिसने स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल डाल लिया हो सिर्फ वही बचेगा।

सन 1989 में हमारे गांव में एक लड़की को दो दबंगो द्वारा रात के अंधेरे में घर से जबरन उठा लिया गया लड़की की शोर मचा देने पर वो लड़की को छोड़कर भाग गए तो उस प्रकरण में उन दबंगो को तो छोड़ दिया गया और जिस दोस्त के पास वो रात में धोखे से रुके थे उस निर्दोष डॉक्टर को गांव में घुसते ही गांव के एक प्रतिश्ठित व्यक्ति ने पंचायत में गोली मारने की घोषणा कर दी हम उस वक्त 11 साल की उम्र में थे हमने तभी पंचायत में गोली मारने वाले को शख्त हिदायत देकर कहा जिसने भी गांव में अपनी मां का दूध पिया है वो डॉक्टर में गोली मारकर दिखाए हम आज ही डॉक्टर सहाब को गांव बुला रहे है हमारी धमकी सुनते ही गोलीबाज़ का मुह सुख गया और पंचायत खत्म हो गयी सभी अपने अपने घर लौट गए किसी की जुबान से एक शब्द तक भी नही निकला हमने उसी दिन डॉक्टर सहाब को बुला लिया गोली मारना तो दूर किसी ने डॉक्टर सहाब की तरफ तिरछी नजर करके देखा तक भी नही।

जीवन मे संघर्ष जितना कठिन होगा सफलता भी उतनी ही ऊंची और शानदार होगी।

आप देखिए सन 2020 में हमने इंजीनियर की नोकरी छोड़कर भारतीय जनसेवा मिशन सामाजिक संगठन का गठन किया और बिना कही जाए बगैर, बिना कोई सभा किए बगैर और बिना राजनीत का सहारा लिए बगैर,बिना किसी के तलवे चाटे बगैर हमने भारतीय जनसेवा मिशन संगठन को उन सैकड़ो संगठनों जो सैकड़ो वर्षो से चल रहे जिनसे लाखो करोड़ो लोग जुड़े है उनसे कही ज्यादा पावरफूल बना दिया है क्योंकि आज भारतीय जनसेवा मिशन की साख देश मे ऐसी बन गयी है जिसका नाम सुनते ही हर कोई मदद कर देता है इसलिए भारतीय जनसेवा मिशन को किसी भी एंगल पे टक्कर दे पाना मुमकिन नही है।


यह सत्य है आने वाला समय भारतीय जनसेवा मिशन का है।

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