जीवन को भयमुक्त करता है प्रकाशः जैन मुनि मणिभद्र महाराज ,,जैन भवन, राजामंडी में चल रहा है भक्तामर स्रोत अनुष्ठान - यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस

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बुधवार, 14 सितंबर 2022

जीवन को भयमुक्त करता है प्रकाशः जैन मुनि मणिभद्र महाराज ,,जैन भवन, राजामंडी में चल रहा है भक्तामर स्रोत अनुष्ठान


जीवन को भयमुक्त करता है प्रकाशः जैन मुनि मणिभद्र महाराज

 जैन भवन, राजामंडी में चल रहा है भक्तामर स्रोत अनुष्ठान

आगरा 14 सितंबर। नेपाल केसरी मानव मिलन संस्थापक जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि प्रकाश का अर्थ है भयमुक्त बनना, क्योंकि जब तक पृथ्वी पर सूर्य होता है, तब तक जीवन में प्रकाश रहता है और सभी भयमुक्त रहते हैं। सूर्य के अस्त होते ही अंधकार हो जाता है। यह अंधकार जीवन को भयभीत करता है। इसलिए हमेशा जीवन में प्रकाश की कामना करो। उसी से जीवन उज्ज्वल होगा।
महावीर भवन, राजामंडी में वर्षावास के दौरान भक्तामर स्रोत अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा कि अंधकार भय और प्रकाश निर्भय करता है। इसलिए सूर्य की उपासना की जाती है। गायत्री मंत्र में भी सूर्य की उपासना की गई है। भगवान से प्रार्थना की जाती है कि आपने संसार बनाया है, दुनिया को प्रकाश दिया है, इसलिए हमारे जीवन को भी प्रकाशमान बनाएं। 
जैन मुनि ने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकाश की पूजा की जाती है। दीपक का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। परंतु दीपक के आलोक की एक सीमा है। वह कुछ क्षेत्रों को ही प्रकाशित कर सकता है। दीपक से दैनिक कार्य करने में सहायता मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर सूर्य और चंद्रमा का अपना प्रकाश है। वे संपूर्ण धरती को आलोकित कर देते हैं। पूरब से उदय होना और पश्चिम से अस्त होना सूर्य का नियम है। लोग कहते हैं कि जीवन में परिवर्तन होना चाहिए, लेकिन सूर्य और चंद्रमा के उदय के क्रम में कभी परिवर्तन नहीं हुआ। 
जैन संत ने कहा कि जैन संस्कृति में सूर्य का विशेष महत्व है। सूर्यास्त के बाद जैन समाज में आहार ग्रहण नहीं किया जाता। हमारा मानना है कि धरती पर सूर्य की किरणें जब तक रहती हैं, तब तक हमारे शरीर का पाचन तंत्र संचालित रहता है। हमारे धर्म में जमीन के अंदर उगने वाले फल, सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता। उसका कारण सूर्य है। यानि जिन फल, सब्जी पर सूर्य की किरणें स्पर्श करती हैं, हम उन्हीं को ग्रहण करते हैं।  
भगवान की उपासना करते हुए जैन मुनि ने कहा कि आपमें तो तीनों लोकों को प्रकाशित करने की क्षमता है। सूर्य और चंद्रमा पर तो राहू-केतु ग्रहण लगाते हैं, लेकिन आप हमेशा प्रकाशमान रहते हैं। बादल भी सूर्य को आच्छादित करते है लेकिन आपके प्रकाश को कोई ढक नहीं सकता। आप भी कृपा करके हर व्यक्ति की आत्मा को प्रकाशित करें। आत्मिक ज्योति जाग्रत होने से जीवन में साधना की शक्ति मिलेगी। जैन मुनि ने कर्म साधना पर जोर दिया। 
नेपाल केसरी ,मानव मिलन संस्थापक डॉक्टर मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी  एवं स्वाध्याय प्रेमी  विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में बुधवार को  सत्रहवीं गाथा का लाभ विमल चंद मंजू जैन धारीवाल एवम गौरव सुहानी जैन परिवार ने लिया। नवकार मंत्र जाप की साधना नीलम, अनोना सचिन दुग्गर चंदा परिवार ने की।  धर्म प्रभावना के अंतर्गत नीतू जैन, दयालबाग की 30 उपवास ,मधु जी बुरड़ की 22 आयंबिल एवम बालकिशन जैन, लोहामंडी की 31आयम्बिल के बाद 3 एकासने  की तपस्या निरंतर जारी  है।बुधवार की धर्मसभा में फरीदाबाद हरियाणा श्री संघ से रविन्द्र जैन,सुशील जैन,राजीव जैन उपस्थित थे।फरीदाबाद की रूपाली जैन ने गुरुदेव के सम्मान में एक भजन की प्रस्तुति दी। गुरुवार को बीड़ महाराष्ट्र से 200 लोग गुरुदेव के दर्शनों के लिए आगरा आ रहे है। कार्यक्रम का संचालन राजेश सकलेचा ने किया।डॉक्टर एम बी जैन,विवेक कुमार जैन,ऋषभ जैन,वैभव जैन,सचिन जैन,राजीव जैन,अजय कुमार जैन आदि गणमान्य कार्यक्रम में उपस्थित थे।

फोटो कैप्शन 1 : महावीर भवन जैन स्थानक में भक्तामर स्तोत्र संपुट महासाधना के दौरान अभिमंत्रित स्वास्तिक वस्त्र एवम रुद्राक्ष माला लाभार्थी विमल चंद मंजू जैन धारीवाल  एवम गौरव सुहानी जैन को प्रदान करते जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज
फोटो 2 :आगरा के राजा की मंडी में स्थित महावीर भवन जैन स्थानक में जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज की धर्मसभा में फरीदाबाद जैन श्री संघ में महामंत्री सुशील जैन अपने विचार रखते हुए

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