आगरा के विवि में छात्र ने पैसे नहीं दिए तो रिजल्ट में दिखा दिया एबसेंट. नंबर पर लगा दिया व्हाइटनर. कर्मचारी की जमानत खारिज कर कोर्ट ने भेजा जेल
आगरा के डॉ भीमराम आंबेडकर विवि के कर्मचारी की जमानत खारिज करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे जेल भेज दिया है. गोपनीय विभाग में पूर्व प्रभारी रह चुके इस कर्मचारी पर पैसे न देने पर बीपीएड के एक छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मामला था. मामले में प्रति कुलपति सहित कई अन्य शिक्षाविदों को दोषी मानते हुए चार्जशीट दाखिल हुई थी.
ये है मामला
मामला हरदोई जिले के थाना अतरौली में रहने वाले एक छात्र का है. छात्र संत कुमार ने बीपीएड सत्र 2013—14 में प्रवेश लिया था. छात्र ने तत्कालीन कुलसचिव केएन सिंह से शिकायत की थी आगरा कॉलेज में उसने बीपीएड की प्रयोगात्मक परीक्षा दी थी लेकिन रिजल्ट में उसे एबसेंट दिखाया गया है. छात्र का आरोप था कि उसने इसके लिए पैसे नहीं दिए थे जिसके कारण उसे प्रैक्टिकल में एबसेंट दिखाते हुए नंबर नहीं दिए. शिकायत पर कुलसचिव ने गोपनीय विभाग के तत्कालीन प्रभारी अनिल पालीवाल से परीक्षकों द्वारा दिए गए नंबर की फाइल मांगी तो पता चला कि छात्र को प्रैक्टिकल में नंबर तो दिए गए थे लेकिन उन नंबरों के ऊपर व्हाइटनर लगा दिया गया था.
इस मामले में तत्कालीन कुलसचिव केएन सिंह ने आगरा कॉलेज में खेलकूद विभाग के डॉ. डीपी शर्मा, रघुवीर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य कृष्ण कुमार शर्मा से फाइल की प्रति मांगी लेकिन उपलब्ध नहीं कराई गई. इस पर कुलसचिव ने 2 अगस्त 2018 को थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी. पुलिस ने अनिल पालीवाल, डॉ. डीपी शर्मा, रघुवीर शरण कॉलेज के प्राचार्य समेत एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
जांच में प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा, गोपनीय विभाग के पूर्व प्रभारी अनिल पालीवाल, आगरा कॉलेज के बीपीएड प्रायोगात्मक परीक्षा के समन्वयक डॉ. डीपी शर्मा, रघुवीर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य कृष्णकुमार गौतम को दोषी माना. चार्जशीट दाखिल होने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने सम्मन जारी किए थे लेकिन आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. अनिल कुमार ने अपनी जमानत कराने के लिए मुख्य मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन कोर्ट ने प्रकरण को गंभीर माना और याचिका खारिज कर उसे जेल भेज दिया है.