दानघाटी मंदिर गबन : तीन लोगों को तो जेल भिजवाया
लेकिन वादी के भाई हरि को लेकर मौन ?
वी पी एस खुराना
मथुरा जनपद की तहसील गोवर्धन में स्थापित विश्व विख्यात श्री दानघाटी मुखारबिंद मंदिर में प्रबंध कमेटी को लेकर चल रहे दीवानी वाद में वाद प्रस्तुत कर्ता स्व श्री गोविंद प्रसाद पुरोहित के आकस्मिक निधन उपरांत येन केन प्रक्रेण उक्त वाद में रमाकांत कौशिक वादी मुकद्दमा बन गए जो कि सूत्रों के अनुसार फर्जी दस्तावेज तैयार कर न्यायालय को गुमराह कर बने हुए हैं और सूत्रों के अनुसार उक्त कूट रचित प्रविष्टियां और दस्तावेजों को मान्य करनें में राजनेतिक रसूख के अलावा तत्कालीन पीठासीन अधिकारी की भूमिका एक गहन जांच का विषय है। येन केन प्रक्रेण वादी मुकद्दमा बन रमाकांत कौशिक द्वारा निवर्तमान सहायक प्रबंधक डाल चन्द चौधरी पर सर्व प्रथम दबाव डाला गया और अनुचित लाभ लेते हुए निजी सौक करनें की सुबिधा प्राप्त की जिनको अपनाकर खुशहाली पूर्वक दानघाटी मंदिर की प्रबंध व्यवस्था देख रहे सहायक प्रबंधक डाल चन्द चौधरी ने अपना सर ओखली में देने का कार्य कर दिया और नतीजन तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक की महत्त्वकाचाएं बढ़ती चली गई जो सूत्रों के अनुसार लाखों रुपए प्रति महीने में ही पूरी हो सकती थी क्योंकि डाल चन्द चौधरी को भी न्यायालय में हिसाब किताब देना होता था तो मजबूरन उन्हें तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक की अनुचित मांगे अस्वीकार करनी पड़ी लेकिन डाल चन्द चौधरी द्वारा सर्व प्रथम दबाव में आकर वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक को मान्य कर मुंह लगा कर ओखली में सर दे दिया गया था तो फिर मांगे अस्वीकार करते ही तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक द्वारा दानघाटी मंदिर में प्रबंध व्यवस्था के नाम पर लाखों नही अपितु करोड़ों रुपए के गबन करने के आरोप लगाते हुए गबन रूपी मूसल वर्षाना प्रारंभ कर थाना। गोवर्धन में एक रिपोर्ट दर्ज करा दी गई और एड़ी चोटी का जोर लगा कर 29 मई 2019 से डालचंद चौधरी को जेल भिजवाया गया था जहां आज भी डालचंद चौधरी जेल की रोटियां खा रहा है वहीं एक तीर से कई शिकार करने हेतु उक्त मामले की गहन जांच पड़ताल शुरू कराई गई और उक्त प्रकरण में एक विपक्षी ठेकेदार को भी उक्त राशि के घोटाले में शामिल करार करा दिया गया तो प्रश्न यह उठता है कि रिपोर्ट कर्ता की रिपोर्ट अनुसार जो राशि गबन करने में दर्शाई गई है करीब करीब उतनी ही राशि उक्त विपक्षी ठेकेदार दोनो भाइयों पर भी दर्शाई गई है तो आखिर गबन हुआ कितनी राशि का यह एक गूड गूंड रहस्य है लेकिन एक यह भी कहावत है कि जो दूसरों को गड्ढा खोदता है आखिरकार उसको भी एक न एक दिन उसमें गिरना पड़ता है क्योंकि ऊपर वाले की लाठी वेआवज है और उक्त प्रकरण में भी यही हाल हुआ और गबन कर्ताओं में सूत्रों के अनुसार तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक के भाई हरि उर्फ हरि चेना का नाम भी सामने आ गया जो अभी तक आजादी से खुल्ला घूम रहा है जबकि भारतीय संविधान और गबन आखिर गबन ही होता है फिर चाहे वो कुछ रुपयों का हो या फिर करोड़ों रुपए का हो धाराएं गबन में लगने वाली ही लगती हैं और उन्ही धाराओं में जब दो अन्य विपक्षी ठेकेदार दो सगे भाई महीनों से मथुरा जेल में बंद हैं और उन्ही धाराओं में तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक का भाई हरि खुले आम घूम रहा है अपितु भारतीय मुद्रा रेजगारी के रूप में ब्लैक में बेच रहा है और बात जब अपने भाई को जेल भिजवाये जाने की आई तो उक्त तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक के मूंह में दही जम गया और लकवा मार गया है जिससे कौशिक समाज में न सिर्फ आक्रोश व्यक्त है अपितु उक्त तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक और प्रतिवादियों की कलह से सेवायत परिवारों में से कुछ भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं जो परिणामस्वरूप कभी भी कोई भी बड़ी घटना के रूप में सामने आ सकती है लेकिन अब तक के सारांश में उक्त तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक पर मथुरा के ओज के जाने माने कवि मनवीर मधुर की कुछ पंक्तियां कोड करना आवश्यक प्रतीत होता है इसलिए उन्हें कोड करते हुए कानून व्यवस्था को समर्पित किया जाता है कि यदि किसी अंधे को रेवड़ियां सौंप दोगे तो सिर्फ अपनों में बांटने की आदत न जायेगी,जिसने कभी शास्त्र ज्ञान प्राप्त न किया हो उसमें बकबास छांटने की आदत न जायेगी बचपन से ही जो सिर्फ झूठ बोलना सीखा हों उसमें हर बात से नाटने की आदत न जायेगी,चाहे कितने भी छप्पन भोग कुत्तों को लगाएं आप लेकिन उनमें जूठन चाटने की आदत न जायेगी। जो उक्त दानघाटी मंदिर गबन प्रकरण में तथाकथित वादी मुकद्दमा रमाकांत कौशिक पर सटीक बैठती हैं।